Thursday, March 22, 2007

हिंदी वाला पोस्ट

अनुराग जी याद दिला रहे थे कि एक सप्ताह होने को आया और अभी तक हिंदी में कुछ भी नहीं? मैंने कहा कि मैं अभी विषय कि तलाश में हूँ, कुछ सूझने पर जरूर लिखूंगा। अभी तक तो कुछ सूझा नहीं लेकिन सोचा कि अभ्यास करने में कोई हर्ज नही।

मैं ये भी सोच रहा था कि भाषाओं का ज्ञान और उनपे पकड़ कितना महत्वपूर्ण है। मुझे कभी कभी थोडा दुःख होता है कि जो दो भाषाएँ मैं जानता हूँ उनमे भी मुझे कभी कभी दिक्कत महसूस होती है। यहाँ तो सारा समय अंग्रेंजी पढने में ही बीतता है। अब तो धीरे धीरे हिंदी भी अपरिचित भाषा लगने लगी है। अभी ऐसा लग रहा है कि जैसे अंग्रेजी में सोच रहा हूँ और उसका हिंदी में अनुवाद कर रहा हूँ। खैर अभी भी हालत उतनी बुरी नही हुई है। अब तो हिंदी में लिखना भी कितना आसान हो गया है। अब बस कुछ हिंदी कि किताबें चाहिऐ, उधर भी शायद ब्लौग्स किताबों की कमी पूरी कर दें। (हाँ, मैं बौलीवुड कि फ़िल्में देख सकता हूँ, लेकिन मुझे उनसे अत्यंत चिढ है। ये एक पोस्ट का विषय हो सकता है। मैंने नोट कर लिया है।)

इस मौक़े पर मैं एक और स्पष्टीकरण देना चाहूँगा। हालांकि इस ब्लोग पर मैंने हमेशा पश्चिमी साहित्य और फिल्मों के बारे में ही लिखा है, लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं है कि मुझे भारतीय संस्कृति और भाषाओं से कोई लगाव नहीं है। मुझे बस उन कुएँ के मेढकों से अत्यन्त चिढ है जिन्हें दूसरी संस्कृति और सभ्यताओं में कोई रूचि नही अथवा जिनके मन में उनके लिए कोई जिज्ञासा नही। मैं इसलिये भी विभिन्न भाषाओं कि जानकारी को महत्वपूर्ण मानता हूँ, सिर्फ जानकारी ही नही बल्कि गम्भीर ज्ञान। उनके बिना हम सब बस उन कुएँ के मेढकों के समान हैं। मैं ये नही कह रहा कि मैं कोई साहित्य-विशारद हूँ। मैंने हिंदी के बारे में ज्यादा नही लिखा है क्योंकि जब से गम्भीर साहित्य कि थोड़ी बहुत समझ हुई है तबसे हिंदी-भाषी प्रदेशों से दूर रहा हूँ। इस कमी को पूरी करने के मैं निरंतर प्रयासरत हू, मौका मिलने पर हिंदी भाषा और साहित्य के बारे में भी जरूर लिखूंगा। इसी नोट पर यह टिप्पणी समाप्त करता हूँ।

9 comments:

Udge said...

Very pretty lettering; I can't say much about the content obviously :-)

Alok said...

Hi Udge, just in case, it is hindi and the script is called devnagari.

reg. content, I was abusing people who are not sufficiently curious about cultures other than their own :)

Crp said...

ReLokwaa,

Ee kaa khadi boli me patar patar batiya rahe ho... humko to bujhaibe nahi kar raha hai :)

theek hai tippani angrej bahadur ki lipi me likh diya, bloggerwa me iski phasility haiye nahi to hum kaa karein ?

-chaprajilla.

Crp said...

Alok: Just kidding. Would be great if a thaath Bihari could write out his philosophical musings in that most colourful of dialects.

Alok said...

Haha... arre bhai yahan to khari boli mein likhne mein hi dikkat ho rahi hai, aap ab bhojpuri aur maithili mein batiyane ko bol rahe hain :)

nice idea... a post on german literature and philosophy in bihari dialect. Will try ;)

Vidya Jayaraman said...

वाह् वाह् झेम्ब्ला मे भारतीय सन्स्क्रुति के बारे मे पोस्ट् ः)


(That is whatever Hindi I could muster now!! Please do continue with bilingual posts).I have the same problem.Of late I've begun thinking in English and translating to Tamil.Funny how a language you grew up with becomes alien to you out of sheer disuse..I had fun imagining how Sebald will sound in Hindi..(Shani ki AnguthiyAn ;) - A mythological thriller perhaps.

Alok said...

yes it is all about reading i guess, even when you talk in hindi, it generally never gets to a domain where you can discuss complicated thoughts and abstractions and without those your hold on the language remains essentially shallow. you can't do much with it even if you understand the basics of the language.

and it should be "Shani Ke Chakra" or something similar, "Anguthiyan" would be a horror of a literal translation :)

Pratik Pandey said...

हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। उम्मीद है कि आप पूरी तरह हिन्दी में एक ब्लॉग बनाएँगे।

HindiBlogs.com

anurag said...

इच्छा पूर्ती के लिए धन्यवाद :)